परिचय

यह स्थान भारतीय उपमहाद्वीप की शाश्वत ज्ञान परंपरा को समर्पित है — और इस बात को, कि यह ज्ञान कैसे शांत रूप से, सुंदरता से, और कभी-कभी अप्रत्याशित तरीक़ों से हमारे आधुनिक जीवन में प्रवेश करता है।

मेरी आध्यात्मिक यात्रा संशय से शुरू हुई थी। मैंने कई वर्ष नास्तिक के रूप में बिताए — जब तक कि मेरा सामना नीम करौली बाबा (महाराज-जी) से नहीं हुआ। उनका जीवन मेरी यात्रा का निर्णायक मोड़ बन गया। वे न तो पारंपरिक अर्थों में दार्शनिक थे, न उपदेशक, न ही कोई औपचारिक शिक्षक। उन्होंने धर्म पर प्रवचन नहीं दिए, न ध्यान की विधियाँ बताईं। उनकी उपस्थिति ही शिक्षा थी। उनका संदेश सरल और शक्तिशाली था:

सबसे प्रेम करो। सबकी सेवा करो। भगवान को स्मरण करो।

महाराज-जी ने गृहस्थों के लिए भक्ति का मार्ग दिखाया — ऐसा जीवन पथ जो किसी गुफा या आश्रम में जाकर संन्यास लेने की माँग नहीं करता। आप एक पूर्ण जीवन जी सकते हैं: परिवार पालें, नौकरी करें, इस व्यस्त और अधूरे संसार में रहें — और फिर भी समर्पण और भक्ति के मार्ग पर चल सकते हैं।

वे उपवास से ज़्यादा भोजन कराने को प्राथमिकता देते थे, एकांत से ज़्यादा सेवा को, और हर प्रकार के मत-मतांतरों से ऊपर प्रेम को। वे यीशु और कृष्ण, हनुमान और स्टॉइक दर्शन में कोई विरोधाभास नहीं देखते थे। वे यीशु का गहरा सम्मान करते थे। उनका सत्य किसी एक धर्म की संपत्ति नहीं था — और यह वेबसाइट भी नहीं है।

The Modern Bhakti का उद्देश्य है ज्ञान को वहाँ साझा करना जहाँ वह खिले — चाहे वह महाभारत में हो, भगवद गीता में, बाइबल में या मार्कस ऑरेलियस की Meditations में।

क्योंकि सत्य किसी एक पंथ का नहीं होता।
वह बस स्मरण किया जाना चाहता है।

जय हनुमान 🙏

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