पाँच महापुरुषों की ज्ञानवाणी

आज मैं सिर्फ कुछ उद्धरण साझा करना चाहता हूँ — वे वचन जो मुझे प्रेरणा देते हैं, और जिनमें मुझे शांति मिलती है। ये पाँचों उद्धरण पाँच अलग-अलग परंपराओं के महान गुरुओं से हैं।
मैं जल्द ही एक न्यूज़लेटर प्रारंभ करने की सोच रहा हूँ, और इस तरह के प्रारूपों के साथ प्रयोग कर रहा हूँ।


1. रमण महर्षि (Ramana Maharshi):
“अपना सच्चा स्वभाव जानो, और सब शांति में परिवर्तित हो जाएगा।”
“Know your real self, and all will be peace.”


2. रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna):
“धर्म के कई मार्ग हैं, लेकिन सभी एक ही लक्ष्य तक पहुँचते हैं।”
“There are many paths to God, but they all end in the same place.”


3. परमहंस योगानंद (Paramahansa Yogananda):
“आपको यह समझना चाहिए कि आप आत्मा हैं, यह शरीर नहीं।”
“You must realize that you are soul, not the body.”


4. थích न्हात हान (Thich Nhat Hanh):
“वर्तमान क्षण ही एकमात्र क्षण है जहाँ आप सचमुच जीवित हैं।”
“The present moment is the only moment in which we can truly be alive.”


5. राम दास (Ram Dass):
“हम सब एक-दूसरे को घर तक पहुँचाने में मदद कर रहे हैं।”
“We’re all just walking each other home.”


इन वचनों को अपने दिनचर्या में शामिल कीजिए — चाहे एक वचन रोज़ दोहराएँ, या इन पर कुछ समय के लिए ध्यान लगाएँ।
ये शब्द सिर्फ वाक्य नहीं हैं — ये एक अनुभव की ओर संकेत करते हैं।

जय हनुमान 🙏


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